अंत है नहीं कोई आरंभ, अंत आरंब है आरंभ अंत है यह उलझन सुलझी न कभी। अंत है नहीं कोई आरंभ, अंत आरंब है आरंभ अंत है यह उलझन सुलझी न कभी।
कम हरदम कमतर नहीं होता। कम हरदम कमतर नहीं होता।
खुदा अगर हैं तो वहबड़ा ही विनोदी स्वभाव का होगा , शायदतभी तो उसने अपने जैसा, अपने जहाँ जैसा, नही रचा... खुदा अगर हैं तो वहबड़ा ही विनोदी स्वभाव का होगा , शायदतभी तो उसने अपने जैसा, अपन...
प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह का संग्रहित भाग हैं प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह...
पिया मिलन की, आस है। आया सावन का, मास है। पिया मिलन की, आस है। आया सावन का, मास है।
कभी-कभी जिन्दगी से तंग होकर, सोचा जीना छोड़ दू. कभी-कभी जिन्दगी से तंग होकर, सोचा जीना छोड़ दू.